انکو عہد شباب میں دیکھا چاندنی کو شراب میں دیکھا
खुदा करे वो मोहब्बत जो तेरे नाम से है, हजार साल गुजरने पे भी जवान ही रहे।
छेड़ आती हैं कभी लब तो कभी रूखसारों को, तुमने ज़ुल्फ़ों को बहुत सर पर चढा रखा है।
आपकी दुनिया के बेरंग अंधेरों के लिये, रात भर जाग कर एक चांद चुराया मैंने, रंग धुंधले है तो इनका भी सबब मै ही हूँ, एक तस्वीर को इतना क्यूं सजाया मैंने....!
दीवाना हूँ तेरा,मुझे इंकार नहीं, कैसे कह दूँ, के मुझे प्यार नहीं