दिल से तेरी निगाह जिगर तक उतर गई, दोनों को इक अदा में रज़ामंद कर गई
दीवाना हूँ तेरा,मुझे इंकार नहीं, कैसे कह दूँ, के मुझे प्यार नहीं
कुछ इस तरह मैंने जिंन्दगी को आसान कर लिया, किसी से मांग ली माफी, किसी को माफ कर दिया...
सब तमन्नाएं हों पूरी, कोई ख्वाहिश भी रहे, चाहता वो है, मुहब्बत में नुमाइश भी रहे।
तुम्हारे चेहरे पे ध्यान ऐसे टिका हुआ है, तमाम समतो को एक जानिब रखा हुआ है, वो एक लड़की जो मर रही है हया के मारे, वो एक लड़का जो देखने पर तुला हुआ है
अपने होठों से कहो के फूल को चूमे हर रोज़, जब मेरे लब नहीं होंगे तो सहूलत होगी
उनके देखने से जो आ जाती है मुंह पर रौनक, वो समझते हैं कि बीमार का हाल अच्छा है
ना रांझे सा पागल हूं, ना मिर्ज़ा सा लाचार हूं... मैं आशिक़ ऐसा वैसा नहीं, मैं आशिक़ बड़ा खुद्दार हूं
मुद्दतें हो गईं बिछड़े हुए तुम से लेकिन, आज तक दिल से मेरे याद तुम्हारी न गई
तुम से बेहतर तो नहीं हैं...ये नजारे, लेकिन... तुम जरा आँख से निकलो, तो.. इन्हें भी देखूं !
मोहब्बत में हम तो जिए हैं जिएंगे, वो होंगे कोई और मर जाने वाले
लोग जिस हाल में मरने की दुआ करते हैं, मैं ने उस हाल में जीने की क़सम खाई है
आहटों से कह दो कि आहटें ना करें, मेरा महबूब सो रहा है मेरी पलकों में
आ कि तुझ बिन इस तरह ऐ दोस्त घबराता हूँ मैं, जैसे हर शय में किसी शय की कमी पाता हूँ मैं