और तो दिल को नहीं है कोई तकलीफ़ ‘अदम’ हाँ ज़रा नब्ज़ किसी वक़्त ठहर जाती है
جی ہی جی میں وہ جل رہی ہوگی چاندنی میں ٹہل رہی ہوگی
وہ پيار نہيں استعمال کررہا تھا ميرا خود کو اس کے سپرد کر بيٹھي تھي
درد کو بھی اب قرار آ جانا چاہیۓ اب تو بچھڑنے کا اعتبار آ جانا چاہیۓ
عمر گزرے گي امتحان ميں کيا داغ ہي ديں گے مجھ کو دان ميں کيا
سمندر بہا دینے کا جگر تورکھتے ہیں لیکن ہمیں عاشقی کی نمائش کی عادت نہیں ہے دوست
चेहरे पे मेरे जुल्फों को फैलाओ किसी दिन, क्यूँ रोज गरजते हो बरस जाओ किसी दिन, खुशबु की तरह गुजरो मेरी दिल की गली से, फूलों की तरह मुझपे बिखर जाओ किसी दिन।
चेहरे पर हंसी छा जाती है, आँखों में सुरूर आ जाता है, जब तुम मुझे अपना कहते हो, मुझे खुद पर गुरुर आ जाता है।
दिल की धड़कन और मेरी सदा है तू, मेरी पहली और आखिरी वफ़ा है तू, चाहा है तुझे चाहत से भी बढ़ कर, मेरी चाहत और चाहत की इंतिहा है तू।
मैं मोहब्बत करता हूँ तो टूट कर करता हूँ, ये काम मुझे जरूरत के मुताबिक नहीं आता।
तेरी मोहब्बत को कभी खेल नहीं समझा, वरना खेल तो इतने खेले है कि कभी हारे नहीं।
फ़क़त निगाह से होता है फ़ैसला दिल का न हो निगाह में शोख़ी तो दिल बरी क्या है
ज़मीं पर आओ फिर देखो हमारी अहमियत क्या है, बुलंदी से कभी ज़र्रों का अंदाज़ा नहीं होता।
फर्क बहुत है तुम्हारी और हमारी तालीम में, तुमने उस्तादों से सीखा है और हमने हालातों से।