सांस लेने से सांस देने तक जितने लम्हे हैं, सब तुम्हारे है
लबों पे होंठ रख कर कहा उस ज़ालिम ने क्या शिकायत क्या गिला है, अब बोलते क्यों नहीं
اور تو دل کونہیں ہے کوئی تکلیف عدم ہاں ذرا نبض کسی وقت ٹھہر جاتی ہے
न तुम्हें होश रहेऔर नमुझे होश रहे इस क़दर टूट के चाहो मुझे पागल कर दो
आप इक ज़हमत-ए-नज़र तो करें कौन बेहोश हो नहीं सकता
انکو عہد شباب میں دیکھا چاندنی کو شراب میں دیکھا
آنکھوں سےتری زلف کا سایہ نہیں جاتا آرام جو دیکھا ہے بھلایا نہیں جاتا
ऐ दोस्त मोहब्बत के सदमे तन्हा ही उठाने पड़ते हैं रहबर तो फ़क़त इस रस्ते में दोगाम सहारा देते हैं
तू बदलता है तो बे-साख़्ता मेरी आँखें अपने हाथों की लकीरों से उलझ जाती हैं
मुहब्बत में इंतज़ार की घड़ियाँ भी खूब होती है सीने की जगह आँखों से धड़कता है दिल
دیکھ کر دلکشی ز ما نے کی آرزو ہے فریب کھا نے کی
आँख का ऐतबार क्या करते जो भी देखा वो ख़्वाब में देखा
आँखों से तेरी ज़ुल्फ़ का साया नहीं जाता आराम जो देखा है भुलाया नहीं जाता
देख कर दिल-कशी ज़माने की आरज़ू है फ़रेब खाने की