आँखों में कौन आ के इलाही निकल गया, किस की तलाश में मेरे अश्क़ रवां चले।
मेरे ख़त में जो भीगी भीगी सी लिखावट है, स्याही में थोड़ी सी मेरे अश्कों की मिलावट है।
मौत के बाद याद आ रहा है कोई, मिट्टी मेरे कब्र से उठा रहा है कोई, ऐ खुदा दो पल की जिंदगी और दे दे, मेरे कब्र से उदास जा रहा है कोई
ये दुनिया वाले भी बड़े अजीब होते है कभी दूर तो कभी करीब होते है दर्द ना बताओ तो हमे कायर कहते है और दर्द बताओ तो हमे शायर कहते है
अपनी किस्मत में सभी कुछ था मगर फूल न थे, तुम अगर फूल न होते तो हमारे होते।
मुद्दतें हो गईं बिछड़े हुए तुम से लेकिन, आज तक दिल से मेरे याद तुम्हारी न गई
बस एक माफ़ी, हमारी तौबा, कभी जो हम अब सताए तुमको, लो अब हाथ जोड़े, कान पकडे, अब कैसे मनाये तुमको
उनके बग़ैर दिल को न सब्रो करार है, आँखों में नींद आये कई रोज़ हो गए, अब वो मिजाज़ पूछने आये है देखिये, हम को तो मुस्कुराये कई रोज़ हो गए