सौ बार मरना चाहा उनकी निगाहों में डूब के वो हर बार निगाहें झुका लेते हैं, मरने भी नहीं देते है
तुझसे हारूं तो जीत जाता हूँ, तेरी खुशियाँ अज़ीज हैं इतनी।
अपने रुख पर निगाह करने दो खूबसूरत गुनाह करने दो, रुख से पर्दा हटाओ ऐ जाने-हया आज दिल को तबाह करने दो।
खुदा करे वो मोहब्बत जो तेरे नाम से है, हजार साल गुजरने पे भी जवान ही रहे।
नजाकत ले के आँखों में, वो उनका देखना तौबा, या खुदा हम उन्हें देखें कि उनका देखना देखें।
छेड़ आती हैं कभी लब तो कभी रूखसारों को, तुमने ज़ुल्फ़ों को बहुत सर पर चढा रखा है।
बदलना आता नहीं हमें मौसम की तरह, हर इक रुत में तेरा इंतज़ार करते हैं, ना तुम समझ सकोगे जिसे क़यामत तक, कसम तुम्हारी तुम्हें इतना प्यार करते हैं।
दिल से तेरी निगाह जिगर तक उतर गई, दोनों को इक अदा में रज़ामंद कर गई
दीवाना हूँ तेरा,मुझे इंकार नहीं, कैसे कह दूँ, के मुझे प्यार नहीं
तुम से बेहतर तो नहीं हैं...ये नजारे, लेकिन... तुम जरा आँख से निकलो, तो.. इन्हें भी देखूं !
फिर न कीजिये मेरी गुस्ताखे निगाही का गिला, देखिये आपने फिर प्यार से देखा मुझको