सांस लेने से सांस देने तक जितने लम्हे हैं, सब तुम्हारे है
लबों पे होंठ रख कर कहा उस ज़ालिम ने क्या शिकायत क्या गिला है, अब बोलते क्यों नहीं
चेहरे पे मेरे जुल्फों को फैलाओ किसी दिन, क्यूँ रोज गरजते हो बरस जाओ किसी दिन, खुशबु की तरह गुजरो मेरी दिल की गली से, फूलों की तरह मुझपे बिखर जाओ किसी दिन।
चेहरे पर हंसी छा जाती है, आँखों में सुरूर आ जाता है, जब तुम मुझे अपना कहते हो, मुझे खुद पर गुरुर आ जाता है।
दिल की धड़कन और मेरी सदा है तू, मेरी पहली और आखिरी वफ़ा है तू, चाहा है तुझे चाहत से भी बढ़ कर, मेरी चाहत और चाहत की इंतिहा है तू।
आपकी दुनिया के बेरंग अंधेरों के लिये, रात भर जाग कर एक चांद चुराया मैंने, रंग धुंधले है तो इनका भी सबब मै ही हूँ, एक तस्वीर को इतना क्यूं सजाया मैंने....!
मुहब्बत में नहीं है फ़र्क़ जीने और मरने का, उसी को देख कर जीते हैं, जिस काफिर पे दम निकले