न तुम्हें होश रहेऔर नमुझे होश रहे इस क़दर टूट के चाहो मुझे पागल कर दो
आप इक ज़हमत-ए-नज़र तो करें कौन बेहोश हो नहीं सकता
ऐ दोस्त मोहब्बत के सदमे तन्हा ही उठाने पड़ते हैं रहबर तो फ़क़त इस रस्ते में दोगाम सहारा देते हैं
तू बदलता है तो बे-साख़्ता मेरी आँखें अपने हाथों की लकीरों से उलझ जाती हैं
मुहब्बत में इंतज़ार की घड़ियाँ भी खूब होती है सीने की जगह आँखों से धड़कता है दिल
तेरा दीदार करने को जी चाहता है, खुद को मिटाने का जी चाहता है, पिला दो मुझे मस्ती के प्याले, मस्ती में आने को मेरा जी चाहता है
आप के बा'द हर घड़ी हम ने, आप के साथ ही गुज़ारी है
ज़माना, हुस्न, नज़ाकत, बला, ज़फ़ा, शोखी, सिमट के आ गए सब आपकी अदाओं में