सांस लेने से सांस देने तक जितने लम्हे हैं, सब तुम्हारे है
लबों पे होंठ रख कर कहा उस ज़ालिम ने क्या शिकायत क्या गिला है, अब बोलते क्यों नहीं
न तुम्हें होश रहेऔर नमुझे होश रहे इस क़दर टूट के चाहो मुझे पागल कर दो
आप इक ज़हमत-ए-नज़र तो करें कौन बेहोश हो नहीं सकता
ऐ दोस्त मोहब्बत के सदमे तन्हा ही उठाने पड़ते हैं रहबर तो फ़क़त इस रस्ते में दोगाम सहारा देते हैं
तू बदलता है तो बे-साख़्ता मेरी आँखें अपने हाथों की लकीरों से उलझ जाती हैं
मुहब्बत में इंतज़ार की घड़ियाँ भी खूब होती है सीने की जगह आँखों से धड़कता है दिल
चेहरे पे मेरे जुल्फों को फैलाओ किसी दिन, क्यूँ रोज गरजते हो बरस जाओ किसी दिन, खुशबु की तरह गुजरो मेरी दिल की गली से, फूलों की तरह मुझपे बिखर जाओ किसी दिन।
चेहरे पर हंसी छा जाती है, आँखों में सुरूर आ जाता है, जब तुम मुझे अपना कहते हो, मुझे खुद पर गुरुर आ जाता है।
दिल की धड़कन और मेरी सदा है तू, मेरी पहली और आखिरी वफ़ा है तू, चाहा है तुझे चाहत से भी बढ़ कर, मेरी चाहत और चाहत की इंतिहा है तू।
बस इतना ही कहा था कि बरसों के प्यासे हैं हम, उसने होठों पे होंठ रख के खामोश कर दिया।
रोज वो ख़्वाब में आते हैं गले मिलने को, मैं जो सोता हूँ तो जाग उठती है किस्मत मेरी।
आपकी दुनिया के बेरंग अंधेरों के लिये, रात भर जाग कर एक चांद चुराया मैंने, रंग धुंधले है तो इनका भी सबब मै ही हूँ, एक तस्वीर को इतना क्यूं सजाया मैंने....!
तेरा दीदार करने को जी चाहता है, खुद को मिटाने का जी चाहता है, पिला दो मुझे मस्ती के प्याले, मस्ती में आने को मेरा जी चाहता है